
“येन बद्धो राजा बलि दानबेन्द्रो महाबला तेन त्वाम प्रपद्यये रक्षे माचल माचल”
अहिल्या टाइम्स इंदौर : आज सावन पूर्णिमा है। इसी दिन रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती हैं और भाई की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले राखी किसने बांधी और किसको बांधी ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह बात उस वक्त की है, जब राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करा रहे थे। उस वक्त भगवान विष्णु राजा बलि को छलने के लिए वामन अवतार लिया और तीन पग में ही राजा बलि का सब कुछ ले लिया। उसके बाद भगवान विष्णु ने बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया।
कथाओं के अनुसार, बलि पाताल लोक में रहने को तैयार हो गए लेकिन भगवान के समक्ष उन्होंने एक शर्त रख दिया और कहा कि आप मुझे वचन दो कि जो मैं मांगूंगा वो आप देंगे। इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि दूंगा… दूंगा… दूंगा।
भगवान विष्णु के त्रिवचन पर दानवीर बलि ने कहा कि जब भी देखूं तो सिर्फ आपको देखूं, हर समय आपको देखूं। सोते समय, जागते समय, हर समय आपको देखूं। भगवान विष्णु ने बलि की बात सुनकर मुस्कुराये और कहा- तथास्तु।
इसके बाद भगवान विष्णु राजा बालि के साथ पाताल लोक में रहने लगे। उधर बैकुंठ में लक्ष्मी जी को चिंता होने लगी। इसी दौरान नारद जी बैकुंठ पहुंचे। देवर्षि को देखते ही लक्ष्मी जी ने पूछा कि आप तो तीनों लोक में भ्रमण करते हैं। आपने नारायण के कहीं देखा है?
लक्ष्मी जी के सवाल पर देवर्षि ने कहा कि वे पाताल लोक में हैं और राजा बलि के पहरेदान बने हुए हैं। इसके बाद लक्ष्मी जी ने नारद जी से इस समस्या का हल पूछा। तब देवर्षि ने कहा कि आप राजा बलि को भाई बना लीजिए। उसके बाद रक्षा का वचन ले लीजियेगा और बाद में दक्षिणा में नारायण को मांग लीजियेगा।
इसके बाद माता लक्ष्मी स्त्री के भेष में रोते हुए पाताल लोक पहुंची। इस पर राजा बलि ने पूछा कि आप क्यों रो रही हैं। इस पर लक्ष्मी जी ने कहा कि मेरा कोई भाई नहीं, इसलिए में दूखी हूं। तब बलि ने कहा कि तुम मेरी धर्म बहन बन जाओ। इसके बाद लक्ष्मी जी बलि से दक्षिणा के तौर पर राजा बलि से उनका पहरेदार मांग लिया।
इसके बाद राजा बलि ने कहा कि धन्य हो माता! पति आये तो सबकुछ ले लिया और आप आयीं तो उन्हें भी ले गईं। कहा जाता है कि तब से ही रक्षाबंधन शुरू हुआ। यही कारण है कि रक्षा सूत्र बांधते समय “येन बद्धो राजा बलि दानबेन्द्रो महाबला तेन त्वाम प्रपद्यये रक्षे माचल माचल” मंत्र बोला जाता है।पौराणिक कथाओं के अनुसार, लक्ष्मी जी ने सबसे पहले बलि को राखी बांधी थी।